Global Climate Action at the UN General Assembly (UNGA)

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की हालिया बैठक में जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक कार्रवाई के प्रति जोरदार चर्चा हुई। कई विश्व नेताओं ने जलवायु संकट को सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बताया और इसके समाधान के लिए तत्काल नीतियों की आवश्यकता पर बल दिया। खासतौर पर एशिया-प्रशांत क्षेत्र के नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों का उल्लेख किया, जो इस क्षेत्र के गरीब और कमजोर देशों पर बुरा असर डाल रहे हैं।

प्रमुख बिंदु:

  1. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
    जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर में असमान रूप से असर पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग से आर्कटिक पिघल रहा है, समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, और प्राकृतिक आपदाओं में तेजी आ रही है। ये घटनाएं गरीब और विकासशील देशों पर सबसे ज्यादा असर डाल रही हैं।
  2. नेट ज़ीरो एमिशन का लक्ष्य:
    कई देशों ने 2050 तक नेट ज़ीरो एमिशन के लक्ष्य की घोषणा की है। हालांकि, कुछ देशों ने विकासशील देशों की जरूरतों और उनके विकास के लिए आवश्यक कार्बन उत्सर्जन को ध्यान में रखते हुए इस लक्ष्य पर पुनर्विचार की मांग की है।
  3. विकसित और विकासशील देशों के बीच विभाजन:
    संयुक्त राष्ट्र महासभा में चर्चा के दौरान, विकसित देशों पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने जलवायु संकट के लिए जिम्मेदार होते हुए भी इस समस्या का समाधान करने के लिए उचित कदम नहीं उठाए हैं। विकासशील देशों ने वित्तीय सहायता और तकनीकी सहयोग की मांग की ताकि वे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए बेहतर तैयारी कर सकें।
  4. यूएनGA में वैश्विक अपील:
    महासभा में दुनिया के नेताओं ने एकजुट होकर जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए वैश्विक साझेदारी की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि अगर जल्द ही कारगर कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियों को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

भारत की भूमिका:

भारत ने UNGA में अपने संबोधन में यह स्पष्ट किया कि वह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करता है। प्रधानमंत्री ने अपनी योजना का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने सौर ऊर्जा और अक्षय ऊर्जा स्रोतों में भारी निवेश किया है। भारत 2030 तक 450 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखता है।

समाप्ति:

संयुक्त राष्ट्र महासभा की यह बैठक इस बात का संकेत है कि जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लेने का समय अब आ गया है। सभी देशों को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि हमारी धरती और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।

Leave a Comment